Monday, June 9, 2008

FIRST PAGE OF NATIONAL RECORD FIR MADE BY NARESH KADYAN:-
-http://cattletrain-fir.blogspot.com/

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/haryana/4_6_5191007.html
लगभग सवा वर्ष पूर्व मेवात के 20 लोगों द्वारा हरियाणा से उतर प्रदेश ले जाए जा रहे 66 बैलों को अब आरोपी पक्ष द्वारा स्थानीय अदालत में पेश करने होंगे। जिला एवं सत्र न्यायाधीश वी.पी. बिश्रनेई की अदालत ने निचली अदालत के बैलों की सुपरदारी के फैसले को निरस्त करते हुए निचली अदालत को आदेश दिए है कि बैलों को कोर्ट में पेश कराए, लेकिन इसके लिए 2 फरवरी को कोर्ट में बैलों को पेश करने के संबंध में तारीख निर्धारित होगी। यह आदेश पीएफए प्रदेशाध्यक्ष नरेश कादियान द्वारा दायर की गई अपील पर जिला एवं सत्र न्यायाधीश वी. पी. बिश्रनेई की अदालत द्वारा दिए गए है। पीएफए प्रदेशाध्यक्ष नरेश कादियान, स्वामी ओमस्वरूप व महेन्द्र सिंह टोकस ने संयुक्त रूप से बेरी के पास मेवात के एक धर्म विशेष के 20 लोगों के कब्जे से 66 बैल पकड़कर पुलिस के हवाले किए थे और 20 लोगों के खिलाफ पुलिस में गौकसी के लिए बैलों को उत्तरप्रदेश ले जाने के संबंध में 8 नवम्बर 2007 को मामला दर्ज कराया गया था। बैल हरियाणा के बरवाला से उत्तर प्रदेश ले जाए जा रहे थे। आरोपी पक्ष बैलों के मामले में एसीजेएम की शरण में गया था। एसीजेएम के आदेश पर 12 बैलों की सुपरदारी 15 नवम्बर 2007 को व 43 बैलों की सुपरदारी 16 नवम्बर 2007 को हुई थी। बैलों की सुपरदारी के खिलाफ पीएफए अध्यक्ष नरेश काद्यान की ओर से उनके अधिवक्ता आनंद सिंह कादियान ने सैशन कोर्ट में अपील दायर की थी। जिस पर जिला एवं सत्र न्यायधीश श्री वी. पी. बिश्रनेई ने अधिवक्ता आनंद कादिंयान द्वारा वर्ष 2002 के एक सुप्रीम कोर्ट के फैसले को आधार माना। अधिवक्ता आनंद कादियान ने बताया कि अदालत के फैसले के मुताबिक बैल सुपरदारी पर छोड़े जाने की बजाय संस्थाओं के हवाले किए जाने चाहिए थे। अधिवक्ता ने बताया कि आरोपी पक्ष द्वारा यह हवाला दिया गया था कि बैल कृषि कार्यो के लिए ले जाए जा रहे थे लेकिन जिस समय बैल पकड़े गए उस समय डॉक्टरों की एक 5 सदस्यीय कमेटी ने बैलों के स्वास्थ्य की जांच की थी जो खेती कार्यो के काबिल नहीं पाए गए थे। उन्होंने बताया कि आरोपियों के पास न तो ट्रांसपोर्ट लाइसेंस था और न ही स्वास्थ्य संबंधी प्रमाण पत्र मिला।

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